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________________ [ १३५ साथ बनी हुई हैं। परन्तु यहां सर्वाधिक प्रशंसनीय तो नाचती हुई अप्सराम्रों की मूर्तियां हैं जो हाथों में मालाएं और बाद्य यन्त्र लिए हुए हैं; इनमें से अधिकांश आकृतियां बहुत ही गौरवपूर्ण और सुन्दर बनी हुई हैं । यह सम्पूर्ण भवन सफेद संगमरमर पाषाण से निर्मित है, जिसके प्रमुख भागों की प्रभा अभी तक नष्ट नहीं हुई है; जो भाग खुले हुए हैं अथवा खराब हो गए हैं वे ऋतु और वातावरण के प्रभाव से काले अवश्य पड़ गए हैं परन्तु इससे बारीक कुराई के काम की स्पष्टता घटने की अपेक्षा अधिक बढ़ गई है । प्रकरण 9 - " मन्दिर के भीतरी भाग और मध्य की गुम्बद में काम बहुत बारीक और उच्चकोटि का है परन्तु बाहरी भाग और छत पर से संगमरमर का प्रावरण जाता रहा है । मण्डप के श्रागे की भूमि में खड़े हुए खम्भे रविश के ही अङ्ग मालूम होते हैं जो कभी मन्दिर के चारों ओर घूम गई थी; ये खम्भे संगमरमर के हैं और ऐसे ही पत्थर की सामग्री, जिसमें मूर्तियां, कोरनिस, खम्भे और शिलाएं हैं, पास वाले चौक में ढेर की ढेर बिखरी पड़ी है । ७; सरोतरा "और, कितने ही गर्न भरे तत्कालीन ढेर जंगल की एकाकी शान्ति में उसे घेरे हुए पड़े हैं, जहां मनुष्य बहुत कम जाते हैं— सिवाय इसके कि कभी-कभी कोई पूर्वीय लुटेरा इस घने जंगल में वन्य पशु का पीछा करता हुआ श्रा निकलता है ।" जून १६वीं, सरोतरा ( Sarotra ) बहुत कुछ थकान दूर होने पर और सिरोही के इतिहास व कवियों ' से जो कुछ प्राप्त हुआ उससे सज्ज हो कर मैंने अपना डेरा उठा दिया । सुबह १० बजे थर्मामीटर ८६° पर था, बॅरॉमीटर २८°३०' पर और फ़ासला सामान्य दिशा में द द० प० में १० मील । रास्ता एक घने जंगल में हो कर था जिसमें अधिकतर धोक के पेड़ थे; यद्यपि पैदल यात्री और बैल इस रास्ते से अच्छी तरह गुज़र सकते थे परन्तु बड़े जानवरों के लिए रास्ता साफ़ करने को मुझे कुल्हाड़ी सहित प्रदमियों को आगे भेजना पड़ा । उत्तरी भारत और समुद्री बन्दरगाहों के बीच में किसी समय व्यापार के मुख्य मार्ग बने हुए इस प्रदेश के चीरान हो जाने का इससे बढ़कर और क्या प्रमाण होगा कि यहां की सभ्यता का पतन हो कर यह भाग पुनः मादिम अवस्था को प्राप्त हो गया है ? यहां बाबू, तारंगी और चन्द्रावती के वंभवों को, जिनमें से कोई नष्ट हो चुका है तो कोई द्रुतगति से नाशोन्मुख है, देख कर तथा Jain Education International यह मूललेखक ने Scaldo शब्द का प्रयोग किया है जिसका अर्थ 'स्केण्डेनेविया के विशिष्ट कवि ' है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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