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________________ १२४ ] पश्चिमी भारत की यात्रा तो यह बारह मील से अधिक नहीं आता। इन सत्रह और बारह कोस के अधिकाधिक व्यासों का मध्य-परिणाम लगभग पंद्रह कोस अथवा पैंतालीस तीस ?] मील की परिधि का पाता है जो स्थानीय अनुमान के बराबर ही है। Chach SHREINSTENS हिन्दुओं के इस पवित्र पर्वत और ईसाई धर्म से सम्बन्धित माउण्ट सिनाइ (Mount Sinai) के प्राकृतिक दृश्यों में एक विलक्षण समानता है, जो यद्यपि इस स्थान से चार अंश अधिक उत्तर में होते हुए भी तापक्रम में वैसे ही परिवर्तनों के साथ वनस्पति-संसार में इसी प्रकार के परिणाम उपस्थित करता है। आधुनिक यात्रियों में से सर्व-प्रथम स्थानीय निर्भीक यात्री बर्कहाई (Burkhardt) भी माउण्ट सिनाइ के शिखर पर वर्ष के उसी भाग में पहुंचा था जब कि में आबू पर था अर्थात् जून के मध्य में । उसका कहना है कि तलहटी में थर्मामीटर १००° से ११०° तक चला गया था और उसने शिखर पर इंगलैण्ड की गर्मियों का आनन्द ७६° पर लूटा। इधर मेरे पास थर्मामीटर तलहटी में ९५° से १०८° तक था और शिखर पर ६४० से ७६° पर । उसने बताया कि 'खूबानी, जो काहिरा (Cairo) में अप्रेल के अन्त तक पक जाती है वह सिनाइ पर्वत पर जून के मध्य तक. खाने योग्य नहीं थी।' प्राबू के उसी देशीय फल को भी यही दशा थी जो विभिन्नता में मूसा के पर्वत (Mosaic Mount) पर उत्पन्न होने वाले फल से कहीं बढ़कर था। बक़हार्ड (Burk hardt) ने सिनाइ' (Sinai) की ऊँचाई का उल्लेख नहीं किया है परन्तु तापक्रम और जाड़ों में इसकी चोटी को + Mount Sinai की ऊँचाई ७,६५२ पर फीट है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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