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प्रकरण • ६; वृषभदेव का मन्दिर
[१०७ के लिए कला-निरीक्षण से ध्यान हट जाता है। पहली चीज जो मैंने अन्दर जाते ही देखी वह दो संगमर्मर को शिलाएं थीं- जिनमें से एक पर एक भक्त केसरियानाथ के चढाने के लिए केसर का उबटन तैयार कर रहा था। केसरियानाथ का नाम केसर के कारण प्रसिद्ध है; प्रार्थना, स्नान और धूप के बाद भक्त लोग उनको केसर अर्पण करते हैं। जैसे ही मैं इस विशाल कक्ष में प्रविष्ट हुआ, मैंने घृतप्रदीपों-युक्त झाड़ के शबलीकृत प्रकाश में, जो दिन के उजाले के साथ होड़ सी कर रहा था, अपने समार्ती' (Samartian) जैसे मित्र को देखा जिसने मुझे अपना तम्बू उधार दिया था। वह उस समय देव-प्रतिमा के सामने ध्यानमग्न था; कमर पर एक धोती के अतिरिक्त उसके शरीर पर और कोई कपड़ा न था; वह एक हाथ से धूपदान घुमा रहा था जिसमें गोंद, राल व अन्य प्रकार के धूमोत्पादक पदार्थ जल रहे थे । मुख के चारों ओर लिपटी हुई एक पट्टी से उसका मुंह ढंका हुना था जिससे कि वह अपने अपवित्र श्वास द्वारा देवता को अप्रसन्न न कर सके अथवा पूजा के समय किसी कीटाणु को नष्ट कर के शाप का भाजन न बन जाय । उसने मुझे देख लिया था और पहचान भी लिया था परन्तु वह अपना ध्यान छोड़ कर पूजा में व्यवधान डालना नहीं चाहता था; उसके मुखमण्डल पर दया और धार्मिक शान्ति विराजती थी जो बता रही थी कि उसका मानस पूर्णतया शान्त था। अन्दर के दालान में कुछ और मूर्तियां और बड़े-बड़े पीतल के घण्टे लगे हुए थे जो पूजा के समय बजते थे; एक तरफ लोहे की विशाल पेटी पड़ी हुई थी जिसमें रखी हुई चीजों से इस निम्नाण्ड अर्थात् मृत्युलोक की गन्ध पा रही थी। निज-मन्दिर में एक ऊंची वेदी पर वृषभदेव की सप्तधातुनिर्मित स्फटिकाक्ष विशाल मूर्ति विराजमान थी जिसके ललाट में बीचोंबीच बहुमूल्य हीरे का टीका सुशोभित था। ऊपर एक बहमूल्य सुनहरी जरी का चॅदोवा लगा हुआ था तथा सामने धूपदानों में धूप खेयी जा रही थी; परन्तु, कलाप्रेमी तो इस विशाल भवन में देवता के ध्यान से तुरन्त ही विरत हो जायगा, क्योंकि यद्यपि इसकी बनावट साधारण है फिर भी इसकी विशालता को देखते हुए आस-पास के अन्य नमूनों की तुलना में यह बहुत तुच्छ प्रतीत होता है । दालान में प्रतिष्ठित अन्य मूर्तियों के विषय में भी यही निर्णय दिया जायगा, क्योंकि अन्य सजावट के विषय में जो रुचि की विशुद्धता बरती गई है उसके अनुरूप ये मूर्तियाँ कदापि नहीं हैं। प्रकोष्ठों तक पहुंचने से पहले जो मेरी प्रशंसाएं अतिरञ्जना को प्राप्त हो चुकी थीं वे यहां आते ही सब ठप
• पैलेस्टाइन में समारिया (Samaria) का निवासी।
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