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पश्चिमी भारत की यात्रा के सम्मान-चिह्न का ही मूल्य बढता; फिर भी, ऐसी उदारचेता जाति से जो दृढ-मूल प्राभार का विशिष्ट सम्मान उसने प्राप्त कर लिया था और उन लोगों में उसकी स्मति चाव से मनाई जाती है अथवा आने वाली पीढियों तक कायम रहेगी, वह सम्मान ऐसे छुट-पुट सम्मानों से कहीं बढ़ कर उसके लिए प्रात्मसन्तोष देने वाला सिद्ध हुआ। राजस्थान का भविष्य कुछ भी हो-परन्तु, इसको विनाश से सम्पन्नता और अराजकता से शान्ति की स्थिति में पहुँचाने, इसका उदार-हृदय शासक और सुसंस्कृत इतिहासकार होने, डाकुओं और पिण्डारियों के अतिरिक्त यहां के सभी निवासियों का समानभाव से स्नेह प्राप्त करने तथा अपने शासन में असाधारण पक्षपात रहितता एवं मृदुता के कारण ईर्ष्यालु सरकार के निराधार सन्देहों का शिकार बनने का श्रेय और प्रशंसा तो टॉड ही को प्राप्त है जिसके कारण उसके नाम को डङ्कन, क्लीवलैण्ड और अन्य गिने-चुने 'भारत-मित्रों' की श्रेणी में रखने से कभी नहीं रोका जा सकता और इससे बढ़ कर दूसरा कोई वंशचिह्न उसके कुल को प्राप्त भी नहीं हो सकता था।
कर्नल टॉड के दो पुत्र और एक कन्या थी।
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