________________
आनन्द-प्राप्ति का मार्ग जीवन में सुनते सभी है, किन्तु सुनने-सुनने में बड़ा अन्तर है । कुछ इस कान सुनकर उस कान निकाल लेते हैं । कुछ सुनकर जबान से बातें कर लेते हैं किन्तु सुनकर जीवन में उतारने वाले बहुत ही थोड़े होते हैं । बहुधा देखा जाता है कि धर्म की लम्बी-चौड़ी चर्चाएं होती हैं, कुछ व्यक्ति उसमें रस भी खूब लेते हैं किन्तु आचरण के समय वे उन धर्म चर्चाओं से कोसों दूर होते हैं । सुनने को तो बहुत बार सुना गया है कि यह जीवन एक सुनहरा अवसर है । इस अवसर से यदि कुछ लाभ उठा लिया तो ठीक है, नहीं तो पीछे पछताना पड़ेगा । यह जीवन जिसने हार दिया, उसने बहुत कुछ हार दिया । एक आचार्य ने कहा है
इतो विनष्टिः, महतो विनष्टिः । यहाँ का विनाश, महान् विनाश है। यहाँ जो ठोकर लग गई, तो बस सर्वत्र ठोकरें ही खानी पड़ेगी और इस जीवन में यदि आनन्द और शान्ति का रास्ता मिल गया तो समझो कि अब सदा के लिए कष्टों का किनारा आ गया ।
इच्छाओं का प्रवाह :
___ जब तक मन के खेत से इच्छाओं का टिड्डी दल उड़ कर दूर नहीं हो जाता, तब तक उसमें आनन्द का पौधा नहीं फल सकता । जब
177