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ढाल
वलता भाखे श्री वीर जिनन्द, इण बातां रो नहीं मिले जी सम्बन्ध ।
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हुई नहीं होवे नहीं होसी नहीं बात, आऊखो नी बधे एक समय तिलमात || थें० ॥
संघ सघला रे हुई रंग री रली, पुण्य योगे प्रभुजी री सेवा भली । 'ऋषि रायचन्द' विनवे जोड़ी हाथ, थे करुणा सागर वाजो कृपाजी नाथ ॥ थे० ॥
नागौर शहर में कियो जी चौमास, दिज्यो प्रभुजी म्हांने मुक्ति नो वास । हूँ सेबक तुम साहिब
इन्द्रभूति गौतम (परिशिष्ट)
स्वाम,
अवर देवांसु म्हारे नहीं कोई काम || ||
धणी ।
शासन नायक श्री महावीर, तीरथनाथ त्रिभुवन पावापुरी में कियो चरम चौमास,
हुई मोक्षदायक री महिमा घणी ॥
गौतम ने मेल दियो महावीर, देवशर्मा प्रतिबोधवा ||टेर ||
उत्तराध्ययन रा अध्ययन छत्तीस,
कार्तिक वदी अमावस्ये कहाँ । एक सौ ने वली दश अध्ययन, सूत्र विपाक तणा लह्या ॥ गौ० ॥
पोसा कीधा श्रीवीर जी रे पास, देश अठारानां राजीया । नव मल्ली ने नवलच्छी जी राम, वीर ना भगता जी बाजीया ॥ गौ० ॥
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