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१५४ | जैन-दर्शन के मूलभूत तत्व
२. मोक्ष के चार भेद १. ज्ञान
२. दर्शन ३. चारित्र ४. तप ३. मोक्ष के चार साधन १. दान
२. शील ३. तप
४. भाव मोक्ष के चार भेद हैं, यह कथन उपचार से किया गया है । मोक्ष एक ही है, उसका भेद नहीं होता। उसके ये चार कारण हैं। कारण में कार्य का उपचार कर लिया गया है। मोक्ष के चार कारण हैं-तत्वों का यथार्थ बोध, तत्वों का यथार्थ श्रद्धान, तत्वों का यथार्थ आचरण और सम्यक् तप-ये चारों मिलकर मोक्ष के कारण हैं। इनका परिपूर्ण विकास ही वस्तुतः मोक्ष है । दान, शील, तप और भाव-ये चारों धर्म के अंग हैं। अतः परम्परा से ये चारों भी मोक्ष के साधन होने से उपचार से मोक्ष कहे जाते हैं।
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