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नौवाँ अध्याय
बकुश,
४८-- पुलाक, स्नातक- ये पाँच प्रकार के निर्ग्रन्थ हैं।
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कुशील, निर्ग्रन्थ और
४९ – संयम, श्रुत, प्रतिसेवना, तीर्थ, लिंग, लेश्या, उपपात और स्थान के भेद से इन निर्ग्रन्थों का विचार करना चाहिए।
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