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पाँचवाँ अध्याय
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२१ - हिताहित के उपदेश आदि से परस्पर एक दूसरे का सहायक होना जीवों का उपकार है।
२२ – वर्तना, परिणाम, क्रिया, परत्व और अपरत्व, ये पाँचकाल के उपकार हैं।
२३ - स्पर्श, रस, गंध और वर्ण वाले पुद्गलद्रव्य हैं। २४ - तथा ये पुद्गल शब्द, बंध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान, भेद, अन्धकार, छाया, आतप शीतलप्रकाश वाले भी हैं।
धूप, उद्घोत
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२५ - पुद्गल परमाणुरूप और स्कन्धरूप है।
२६ – संघात एकत्रित करना, भेद भाग करना और संघात - भेद इन तीनों कारणों से स्कन्ध पैदा होते हैं।
२७- अणु भेद से ही होता है, संघात से नहीं ।
२८ - जो नत्रेन्द्रिय-गोचर स्कन्ध होता है, वह भेद और बात दोनों से ही होता है।
२९ – जो उत्पत्ति, विनाश और स्थिरता से युक्त है, वही सत् है ।
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