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तीसरा अध्याय
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१४-मानुषोत्तर पर्वत के पहिले पहिले ही अढ़ाई द्वीप में मनुष्य उत्पन्न होते हैं।
१५-ये मनुष्य आर्य और म्लेच्छ के भेद से दो प्रकार के हैं।
१६–देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्रों को छोड़ कर पाँच भरत पाँच ऐरावत और पाँच विदेह इस प्रकार पन्द्रह कर्मभूमियाँ हैं।
१७-मनुष्यों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की, तथा जघन्य स्थिति अन्तमुहूत की है।
१८–तिर्यंचों की भी उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की व जघन्य अंतमुहूत की है।
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