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________________ १४८ / सत्य दर्शन आजकल तपस्या के सम्बन्ध में हमारी विचारधारा गलत बन गई है। जब कोई तपस्वी तपस्या करता है और वह दूर तक चला जाता है, तो उसमें कुछ क्रोध और चिड़चिड़ापन मालूम होता है। तपस्या के साथ-साथ आवेश भी बढ़ता जाता है। जब यह चीज आ जाती है, तो फिर चाहे वह गृहस्थ हो या साधु, लोग एक समझौता कर लेते हैं और बातें करते हैं कि तपस्या करने पर क्रोध आ ही जाता है। क्रोध आ रहा है, तो कहते हैं कि क्रोध तो आयेगा ही, आवेश तो आएगा ही, क्योंकि आखिरकार तपस्या जो ठहरी। जब क्रोध और तपस्या का इस प्रकार मेल बिठलाया जाता है, तो मैं सोचता हूँ-आखिर बात क्या है ? क्या तपस्या के साथ क्रोध का आना आवश्यक है ? तपस्वी का क्रोधी होना अनिवार्य है ? तपस्या ज्यों-ज्यों लम्बी होती जाएगी, क्या क्रोध उतना ही उतना बढ़ता जाएगा? हमारे शास्त्र और आचार्य तो ऐसा नहीं कहते। यही नहीं, उन्होंने तो इससे उल्टी ही बात कही है। वे कहते हैं "कषाय-विषयाहार-त्यागो यत्र विधीयते । उपवास : स विज्ञेयः, शेषं लङ्घनकं विदुः ॥" "कषायों का, इन्द्रियों के भोगों का और आहार का जहाँ त्याग किया जाए, वहीं सच्चा उपवास है। अगर कषाय-विषय का त्याग नहीं हुआ है और केवल खाने-पीने का ही त्याग किया गया है, तो उसे लंघन कह सकते हैं, उपवास नहीं कह सकते।" ध्यान देने योग्य बात यह है कि यहाँ सब से पहले कषाय का त्याग करना आवश्यक बतलाया गया है और कषायों में सब से पहले क्रोध का नम्बर आता है। इसका अर्थ यह हुआ कि क्रोध का त्याग किए बिना उपवास, उपवास ही नहीं कहला सकता। ऐसी स्थिति में क्रोध को तपस्या का अनिवार्य अंग मान लेना अभ्रान्त कैसे कहा जा सकता है ? क्रोध, तपस्या का आवश्यक अंग या परिणाम होता, तो भगवान महावीर की साधना में क्यों नहीं बढ़ा ? उनका आवेश क्यों नहीं बढ़ा ? भगवान् जिस किसी साधना के क्षेत्र में आगे बढ़े, उसकी चरम सीमा पर पहुंचे, तपस्या के मार्ग में अग्रसर हुए तो छह-छह महीने तक निराहार रहे। उन्होंने देवी-देवताओं और मनुष्यों के भी उपसर्ग सहे, किन्तु सब कुछ सहने के बाद भी हमें इतिहास में देखने को मिलता है कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003425
Book TitleSatya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Vijaymuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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