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________________ ( 12 ) तीन इन्द्रिय वाले जीव, 4. चतुरिन्द्रिय जाति - चार इन्द्रिय वाले जीव, और 5. पंचेन्द्रिय जाति - पाँच इन्द्रिय वाले जीव । 1. एकेन्द्रिय जाति के जीव उन्हें कहते हैं, जिनके एक स्पर्शन इन्द्रिय (शरीर - त्वचा) ही पाई जाये। जैसे——— कच्ची मिट्टी, जल, आग, पेड़-पौधे, फल-फूल आदि। हवा और 2. द्वीन्द्रिय जाति के जीव उन्हें कहते हैं, जिनके एक स्पर्शन (त्वचा), और दूसरी रसन ( जीभ), ये दो इन्द्रियाँ पाई जाएँ। जैसे—लट, शंख, जौंक और केचुआ आदि । 3. त्रीन्द्रिय जाति के जीव उन्हें कहते हैं, जिनके एक स्पर्शन (त्वचा), दूसरी रसन ( जीभ), और तीसरी घ्राण (नाक), ये तीन इन्द्रियाँ पाई जाएँ। जैसे - चिउँटी, मकोड़ा, खटमल, जूं, और कुन्थुआ आदि । 4. चतुरिन्द्रिय जाति के जीव उन्हें कहते हैं, जिनके एक स्पर्शन (त्वचा), दूसरी रसन ( जीभ), तीसरी घ्राण (नाक), चौथी चक्षु (आँख), ये चार इन्द्रियाँ पाई जाएँ। जैसे—- मक्खी, मच्छर, ततैया, भौंरा और बिच्छू आदि । 5. पंचेन्द्रिय जाति के जीव उन्हें कहते हैं, जिनके एक स्पर्शन (त्वचा), दूसरी रसन ( जीभ), तीसरी घ्राण (नाक), चौथी चक्षु (आँख), और पाँचवीं कर्ण (कान), ये पाँच इन्द्रियाँ पाई जाएँ। जैसे—आदमी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003424
Book TitleJain Bal Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year2002
Total Pages70
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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