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बुद्धि का कौशल!
धन होने पर भी यदि बुद्धि नहीं है, तो जीवन सुखी नहीं रह सकता। जीवन के हर क्षेत्र में बुद्धि की आवश्यकता है। बिना बुद्धि के जीवन सूना-सूना रहता है।
राजगृह नगर में एक बुद्धिमान धन्य सार्थवाह रहता था। उसकी पत्नी का नाम था, भद्रा! सार्थवाह के चार पुत्र थेधनपाल, धनदेव, धनगोप और धनरक्षित । उन चारों पुत्रों के क्रमशः चार पलियाँ थीं। उझिका, भोगवती, रक्षिका और रोहिणी। चारों पुत्र और उनकी चारों पत्नियाँ अपने-अपने कार्य में दक्ष थीं । धन्य और भद्रा सुखी थे। ___एक दिन धन्य सार्थवाह ने सोचा : "मैं अब तो वृद्धत्व की ओर अग्रसर है। जीवन का पता ही क्या? यह दीपक कब बुझ जाय, कौन जाने । कार्यवशात् कभी घर से बाहर भी जाना पड़ जाय ! अभी तो भद्रा भी है, चिन्ता जैसी स्थिति भी नहीं है। परन्तु हमारे बाद क्या होगा ? पुरुष का क्षेत्र घर के बाहर का है। घर का कार्य तो नारी के हाथों में सुरक्षित रह सकता है। इन चारों पुत्र वधुओं में कौन घर को सँभालने में दक्ष और योग्य है । यह परीक्षा मुझे कर लेनी चाहिए।"
सार्थवाह ने अपने समस्त परिजनों को और ज्ञातिजनों को बुलाकर एक प्रीति भोज किया और उस अवसर पर सब के
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