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________________ १६० : पीयूष घट मगा ग्राम नगर में विजय क्षत्रिय राजा था। मगावती उसकी रानी थी। इकाई का जीव नरक की भयंकर वेदना भोगकर मगावती के गर्भ में आया। पापात्मा पुण्यवती माता के गर्भ में आकर, उसके संकल्पों को भी दूषित कर देता है । विजय क्षत्रिय का स्नेह मगावती पर से हटने लगा ! मगावती ने गर्भपात का संकल्प भी किया, परन्तु सफल नहीं हो सकी। ___ गर्भकाल पूरा होते ही मृगावती ने एक पुत्र को जन्म दिया, जो अन्ध, मूक, बधिर और पंगु था। जिसके कान-नाक, आँख आदि के आकार मात्र ही थे। पुत्र को देखते ही मगावती भयभीत होकर उस मांस-पिण्ड को कूरड़ी पर डालने का आदेश देने लगी परन्तु राजा के निषेध से वह वैसा कर नहीं सकी। पाप का फल भोगे बिना छुटकारा नहीं हो पाता। भगवान महावीर मगा ग्राम नगर में पधारे। विजय राजा वन्दन को गया। हजारों लोग भी उपदेश सुनने को आए। एक जन्मान्ध मनुष्य भी परिषद् में बैठा था। उसकी हीन दशा को देखकर गणधर गौतम ने प्रभु से पूछा "भंते, इस अन्ध से भी भयंकर वेदना भोगने वाला जीव कोई है ?" भगवान् ने कहा- "हाँ, गौतम है। विजय राजा और मगावती रानी का पुत्र मगा भयंकर वेदना में है।" मगा को देखने की बलवती वत्ति गौतम के मन में जागी। मगावती के पास जाकर गौतम ने सहज भाव से अपने आने का कारण बताया। पहले तो मगावती ने अपने स्वस्थ और सुन्दर पुत्रों को दिखाया । किन्तु बाद में मृगा को भी दिखाया। . जिस भूमि-गृह में वह बन्द था, उसका द्वार खोलते ही दुर्गन्ध आने लगी। बड़ी वीभत्स मूर्ति थी। भोजन करने का ढंग भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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