________________
० जो मनुष्य अपने दुःख से आप घबराता है, वह कभी कोई, साहसपूर्ण कार्य नहीं कर सकता।
• स्वात्मपीड़ा की भावना से बुद्धि कुंठित होती है, बौद्धिक कुंठा आत्म-श्रद्धा की हत्या करती है। जिसे अपने आप पर श्रद्धाविश्वास नहीं, वह अपने हाथों अपना ही विनाश कर लेता है।
धन, बल, और बुद्धि जहाँ हार जाते हैं, वहाँ सिर्फ आत्मश्रद्धा ही मनुष्य को सहारा देकर संकटों से उबार सकती है।
० जो दूसरों की हानी करके भी अपना लाभ करना चाहता है-वह निकृष्ट कोटि का मनुष्य है।
जो अपना लाभ करे, किन्तु दूसरों को हानी न पहुँचाए, वह मनुष्य मध्यम कोटि में आता है।
जो अपने लाभ से दूसरों को भी लाभ पहुँचाने का प्रयत्न करता रहे, वह उत्तम मनुष्य है। ___ कार्य करने की ये तीन पद्धतियाँ हैं । यदि आप तीसरी पद्धति को न आपना सकें, तो कम - से - कम पहली पद्धति को तो मत अपनाइए।
सागर के मोती:
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org