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___ अनुपमा देवी का माधुर्य युक्त विनम्र - दान आज भी महान् प्रेरणा दे रहा है। ० दुनिया में सब वस्तुएँ चंचल हैं, पर इससे मनुष्य को अधिक हानी होने वाली नहीं है, यदि उसकी बुद्धि स्थिर है। ० पाखण्ड तभी तक आकर्षक और सुन्दर लगता है, जब तक वह सदाचार और सरलता के सुनहले आवरण को ओढे रहता है ।
और जब पाखण्ड अपने असली रूप में उपस्थित होता है, तो निश्चित ही वह बहुत अनाकर्षक और अप्रिय लगता है। ० अहंकार की दवा एक है-विनम्रता। यह सिर्फ अपने अहंकार को ही ठीक नहीं करती, किन्तु दूसरों के अहंकार को भी ठीक कर देती है । आर्य सुधर्मा ने महावीर का एक वचन उद्धृत किया है"माण महबया जिणे" अभिमान को मद्रता से जीतो।
एक सड़क के किनारे दो हरे - भरे पेड़ खड़े थे, एक था आम का और दूसरा बांस का।
एक दिन खूब जोर की आंधी चली। जाने कितने कच्चे-पक्के घर गिर गए, छप्पर उड़ गए। आम का पेड़ भी जड़ से उखड़ कर बांस के वृक्ष के समीप आ गिरा। ____ आम का पेड़बोला-भाई ! तुम तो हमसे बहुत कमजोर हो, फिर भी भीषण आंधी-तूफानों का सामना कैसे कर लेते हो ?
बांस के पेड़ ने जरा मुस्कुराकर उत्तर दिया-“दादा ! तुम बिल्कुल ठीक कहते हो, मैं तुमसे बहुत कमजोर हूँ। किन्तु आंधीतूफान को जीतने के लिए ताकत की जरूरत नहीं, झुकने की जरूरत होती है। जब तूफान आता है, मैं झुक जाता हूँ। अतः मेरा बाल भी बांका नहीं होता।"
सागर के गोती:
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