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________________ मखं आलोचक एक वार लार्ड नार्थस नाटक देख रहे थे। उनके पास ही एक मूर्ख आलोचक भी बैठा था, जो बहुत उतावला और वाचाल प्रकृति का धनी था। ___ उसने लार्ड से सामने की ओर संकेत करते हुए कहा'देखिए, वह सामने वाली औरत कितनी भद्दी है ?" उत्तर मिला-"हाँ, वह मेरी स्त्री है।" उस मूर्ख ने कुछ लज्जित होकर अपनी भैप मिटाते हुए फिर कहा-"वह नहीं साहब, उसकी बगल वाली !” लार्ड ने गंभीर भाव से कहा- “अच्छा वह, वह तो मेरी ‘बहिन है ।" ___ व्यर्थ ही इधर - उधर के लोगों पर नुक्ताचीनी करने वाले अविवेकी वाचाल व्यक्ति समय पर इतने लज्जित होते हैं, कि कुछ पूछो नहीं । अतः मनुष्य को तौलकर बोलना चाहिए। SENS मूर्ख आलोचक : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003422
Book TitleSagar ke Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year1991
Total Pages96
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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