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________________ हिंसा या अहिंसा? मालव देश के कुछ म्लेच्छ शबर लोग, जो लूट मार का काम करते थे, एक वार किसी गाँव पर चढ़ आए। कुछ आर्यिकाओं और एक क्षुल्लक साधु को उठा ले गए । जंगल में जाकर उन्होंने उसको एक लुटेरे को सौंप दिया और वे सब पास के किसी गाँव से दूसरे लोगों का अपहरण करने चले गए। थोड़ी देर बाद पहरेदार लुटेरे को प्यास लगी, तो उसने कहा-'तुम यहाँ चुपचाप बैठे रहना, मैं नीचे बावड़ी में जा कर पानी पी आता हूं। वह पानी पीने बावड़ी में उतर गया। गरमी अधिक थी, अतः स्नान भी करने लगा। क्षुल्लक ने सोचा, 'क्या हम सब मिलकर भी इम अकेले आदमी के लिए पर्याप्त नहीं हैं ? यदि यह अवसर चूक गए, तो फिर इन साध्वियों का क्या होगा? क्या इन सबको अपने धर्म से-सतीत्व से, हाथ न धोना पड़ेगा ?" क्षुल्लक ने साध्वियों को चोर पर आक्रमण करने का इशारा किया। सबने आस - पास से बड़े - बड़े पत्थर इकट्ठे कर लिए। क्षुल्लक ने एक बड़ा पत्थर अचानक ही चोर के ऊपर फेंक कर मारा। उसो समय सब साध्वियों ने भी मिलकर एक साथ चोर पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। अन्ततः चोर मर गया, और इन सबको उसके पंजे से छुटकारा मिल गया। हिंसा या अहिंसा ?: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003422
Book TitleSagar ke Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year1991
Total Pages96
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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