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रघुवरजसप्रकास
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अथ मात्रा पताका अन्य विध ।
दूहा
अंक मत्त उदिस्ट लिख, समझ विचार सुजाण । वळे पताखा दंड विच, विध एही बुधवांण ॥ ६८ विरळी पूरण अंक विण, बे बे पंकत बंध । ऊपरली बे पांतरौ, आंक उपंत समंध ।। ६६ असौ अंक पूरण अंकसू, परठव तीजी पंत । गुणीयण कहणौ गुरु लघु, पहली तरह पढ़त ॥ १००
अन्य प्रकार नवीन मत दस मात्रा पताका स्वरूप ।*
६८. वळे-फिर । बुधवांण-बुद्धिमान् । ६९. पांत-पंक्ति । उपंत-उपांत्य । समंध-सम्बन्ध । १००. परठव-रच । गुणीयण-कवि।
* दूसरे प्रकारसे सप्त मात्रा पताकाके स्वरूपकी तरह १० मात्रा पताकाका स्वरूप भी निकाला जा सकता है।
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