SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रघुवरजसप्रकास [ १३ मात्रा सूची विधि पूरब जुगळ पहलां पढ़ी, संख्या मत्त सहास । पूरण अंक नेडौ तिको, पूरब अंक प्रकास ॥ ४५ आद लघु, लघु अंतमें, जितरा है कवि जाण । तिणसू पूरब अंक ते, आद अंत गुरु आंण ॥ ४६ चौपई पूरण अंकसू तीजौ अंक, श्राद अंत लघु जिता निसंक। जिणसूतीजौ अंक जिताय, आद अंत गुरु जिता कहाय ॥ ४७ मात्रा सूची संख्या रूप अथ वरण सूची विधि चौपई वरण संख बे दुगणी वेस, सम लघु गुरुचा रूप सरेस । पूरण निकट पुरव अंक होय,आद अंत लघु गुरु है सोय ॥ ४८ अंक तीसरौ पूरण हूत, आद अंत लघु गुरुचौ कूत।। सूची कौतक अरथस कीजै, तौ के आंन विधांन तवीजै ॥ ४६ वरण सूची संख्या रूप अथ ऊदिस्ट लछण चौपई बीयौ रूप लिख कहै बताय। किसौ भेद ऊदिस्ट कहाय ॥ ५० ४५. जुगळ-दो। नेडो-नजदीक । ४६. प्रांण-लामो। ४८. गुरुचा-गुरुका। ४६. गुरुचौ-गुरुका । कूत-समझ । कौतक-शेष केवल कौतुकं । तवीजै-कहा जाता है । ५०. बीयौ-दूसरा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy