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________________ ३४६ ] क्र.सं. पंक्ति १५ धुर गुरु सीस प्रथम लघु धारौ १६ धुर तुक कळ तेवीसह धार १७ के ऊरध गुरु धरौ १८ १६ २० २१ भाग कळप दखिरण कर श्रोर २२ भेद सीस दखिरण व्रत क २३ रूप सोस दखिरण व्रत अंक २४ २५ २६ २७ २८ २६ १ २ धुर लघु पूरण अंक सूं तीजौ श्रंक पूरब मत्त पर मत्त मिळाय बीय रूप लिख कहै बताय ८ ह वरण संख बे दुगरणी वेस विध यरण नस्ट संख्य विपरीत सगर जगरण सगह बे पच्छ रघुवरजसप्रकास सात भगरण गुरु लघु जिरग अंत सुधा क्रम कळपौ भाग सोलह दस मत यक पद साज छप्पै Jain Education International पृष्ठ प्रकरण पद्यांक नाम २३ १६२ २२ १३ २१ प्रजय विजय वळकररग श्राद सुन्य गुरु पंत, अंक अन गुरु लघु श्रारख ३ उक्तसु सनमुख श्रादि निभै नह जिको श्रंध १७६ ४ ११५ उक्ता प्रत्युक्ता प्रखत, मध्या वखांगत ५ उदियापुर प्राथांग रांग भीमाजळ राजत ३४० ६ एक रमा प्रहनिसा, दोय रविचंद त्रिगुरण दख १०२ ७ करीत उदस्टि देहु, पररण अंक बामह कमळ उदध कळवरछ, भांरग मघवरण मेर ससि कर सम बेबे कोठ अंत यक अंक भरीजं १३ २६ १ २१ १ २६ १ १३ १ २६ १ १३६ ३ १५७ १ ४ ३ २५ १ ३३३ ५ १ १ १ १ ३० १०६ ८६ २ ३८ १ ४ १० कह सेवा की कहै ? नांम परजंक कवरण भरल ११ कहियौ मैं के कहूँ किसूं, धौ त कहियौ १२ १३ किव पूछे जौ कोय, ग्यांन खट भांत एक थळ कोसळ भा सुख कररण, नेत-बंध दसरथ नंदरण १४ चोप प्ररच हरिचरण, चोप फिररे परदछरण १५ जपं रसरण रघुबर जिकं श्रघ त्यां कप प्रमाण जस कज करें भऴस बाज गजराज वडाळा १८४ जिरण भजियौ जगदीस, जिको जमहूत न ६६ भजियाँ १६ १७ १७६ ३८ ६८ २८ १ && २ ४ १ २ For Private & Personal Use Only १०३ २ १०४ २ ४ २ ७४ ५५ से ५७ ७० ४७ ६६ ५० ८५ ६७ ८४ ४८ ८३ १०४ १६५. ८२ २० ३ ५ ३६ २ १ २ २०४ १११ ३५ ४ २३७ नोसररणीबंध ६७ २६१ ६५ १२६ छत्रबंध ३६ १०६ २२७ २४१ २४५ कुंडलिया ४३ २२३ चौपाई छप्प वळता संख www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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