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________________ ३४० ] रघुवरजसप्रकास अथ कविवंस वरणण छप्पै कवित्त छप्प 'दुरसा' घर ‘किसनेस' 'किसन' घर सुकवि ‘महेसुर' । सुत 'महेस' “खमांण' 'खांन साहिब' सुत जिण घर ।। 'साहिब' घर 'पनसाह' ‘पना' सुत 'दुलह' सुकव पुण । 'दुल्ह' घरे खट पुत्र 'दान' 'जस' 'किसन' 'बुधौ' भण ॥ 'सारूप' 'चमन' मुरधर उतन, प्रगट नगर पांचेटियौ । चारण जाती आढा विगत 'किसन' सुकव पिंगळ कियौ ॥ ३५ उदियापुर प्राथांण रांण भीभाजळ राजत । कवरां-मुकट 'जवांन' नीत मग जग नीवाजत । अट्ठारै सै समत वरस असियौ माह सुद। बुद्धबार तिथ चौथ हुवौ प्रारंभ ग्रंथ हद । अठारै अनै अकियासिये, सुद आसोज सराहियौ । सनि बिजैदसमी रघुबर सुज किसन'सुकवि सुभकत कियौ ।। ३६ दहा रघुबर सुजस प्रकासरौ, अहनिस करै अभ्यास । सकौ सुकवि वाजै सही, रांम क्रपा सर रास ॥ ३७ प्रगट छंद अनुस्टपां, संख्या गिणियां सार । सुज रघुबर प्रकास जस, है गुण तीन हजार ॥ ३८ जिणरौ गुण भण जेणनूं , न गिणै गुर निरधार । पड़ रौरव ले प्रगट, अवस स्वांन अवतार ॥ ३६ इति स्रीरघुवरजसप्रकास पिंगळ ग्रंथे अाढा किसना विरचिते कड़खौ अंक अकादस प्रकार निसांणी निरूपण वरणण नांम पंचमौ प्रकरण संपूरण । समाप्त । ३५. उतन-वतन, जन्म भूमि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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