SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८ ] रघुवरजसप्रकास गाथा नाम गौरी अख्यर ३७ गुरु २० लघु १७ सज्झी न राघव सेवं, सेवा सौ जाय घरोघर साझै। निज सिर हरी न नायौ, उण नायौ सीस जग अग्गां ॥ १५६ गाथा नांम धात्री अख्यर ३८ गुरु १६ लघु १६ पढ़ सीतावर प्रांणी, जगचा तज ांन आळ जंजाळ। उंबर अंजुळि आब, नहचै आ जांणा थिर नाही ॥ १५७ गाथा नाम चूरणा अख्यर ३६ गुरु १८ लघु २१ रिख सिख गंगा रांम, सेवै पद कंज मंजु सीतावर । सौ राघौ पै 'किसना', चीतव निस दिवस उर चंगा ॥ १५८ गाथा नांम छाया अख्यर ४० गुरु १७ लघु २३ रट रट स्री रघुरांम, दस-सिर जे तार तारके दीनं । करुण ऊदध कर कंज, सीतावर संत साधारं ॥ १५६ गाथा नाम कांती अख्यर ४१ गुरु १६ लघु २५ अजामेळ यक वारं, आखे अजाण नारायण । जाण आण जम हरिजन, जुड़ियौ नह मग्गा घर जेणं ।। १६० १५६. सज्झी-हुई। सेवं-सेना। सौ-वह। नायौ-नमाया। उण-उस । अग्गां-अगाड़ी। १५७. प्रान-अन्य । पाळ-असत्य, झूठ । जंजाळ-प्रपंच । उंबर-उम्र, आयु । प्राब-पानी । नहचै-निश्चय । थिर-स्थिर । १५८. कंज-कमल । मंजु-सुंदर । चीतव-स्मरण कर। चंगा-श्रेष्ठ, उत्तम, स्वस्थ । १६०. यक-एक । वारं-समय । पाखे-कहा। अणजांण-अज्ञानावस्था। जुड़ियौ-प्राप्त हुआ। मग्गा-मार्ग । जेणं-जिस । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy