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श्रोता आनन्द । ९७
गाँव के हित को महत्त्व दो । जब एक तरफ देश का हित हो, और दूसरी तरफ गाँव का नगर का हित हो, तो देश के हित को प्रथम स्थान दो, और नगर के हित की अवहेलना कर दो।
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अन्त में कहा गया है, विराट बनो। एक ओर आत्मा का हित हो, तुम उस पर अड़े रहो - भले सारा संसार असत्य के द्वार पर खड़ा हो। तुम्हारी आत्मा का हित अहिंसा और सत्य में है । तुम्हारे अपने विचार और संकल्प हैं, और वे आत्मा के हित के लिए हैं । तुम्हारे मन में राग-द्वेष नहीं है, विशुद्ध ज्ञान हैं; तो उस समय सत्य की पूजा के लिए सारे संसार को ठुकरा दो। सारी कठिनाइयों को झेल लो, किन्तु सत्य के लिए लड़ते रहो । जहाँ सत्य का प्रश्न है, वहाँ कुल, गाँव- नगर, संघ-सम्प्रदाय और राष्ट्र का कोई महत्व नहीं है। सत्य अपने आप में महत्त्व की वस्तु है । सत्य ही सर्वोपरि तत्त्व है।
गौतम के सामने सत्य का सवाल था । सारे भारत में उनकी कीर्ति थी, यश था और अपनी बिरादरी में वह माने हुए विद्वान् थे । उन्होंने शास्त्रार्थ में कितने ही विद्वानों को जीता था । किन्तु जब प्रभु के चरणों में पहुँचे, और उनकी बात सुनी तो उसी समय कहा- यही सत्य है। आज तक मैंने जो कुछ किया है, गलत काम किया है। मैंने जनता को अन्धकार दिया है! वास्तव में, मुझे आज ही प्रकाश मिला है। जहाँ प्रकाश, वहाँ अन्धकार टिक नहीं सकता।
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गौतम क्या घर लौटकर आ जाते हैं। सत्य को समझकर भी क्या उसकी उपेक्षा कर देते हैं। क्या अपने साथियों के पास सलाह-मशविरा करने जाते हैं। पाँच सौ साथी तो साथ में ही थे। एक से भी पूछा, कि क्या करना चाहिए। नहीं, सत्य का प्रकाश मिला, कि उसी समय प्रभु के चरणों में पड़ गए। एक बूँद समुद्र में पहुँची, तो वह विलीन हो गई । वापिस लौट कर नहीं आई।
जो श्रोता सत्य को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं, वे द्रव्य श्रोता हैं, जीवन के श्रोता नहीं है।
आनन्द ऐसा श्रोता नहीं है। एक बार प्रभु के दर्शन के लिए पहुँचा, और पहली बार ही वाणी सुनी तो गद्गद हो गया। उसके जीवन का कण-कण जाग उठा । सोचा, शुभस्य शीघ्रम् । आज ही जीवन का उद्धार करना है । वह यह नहीं सोचता, कि सम्पत्ति का परिमाण करने के विषय में लड़कों से सम्मति ले लूँ ।
आनन्द अपनी भावनाओं को लेकर भगवान् के सामने उपस्थित हो गया। अपने संकल्प की बात प्रभु के सामने रख दी। उसने एक दिन का भी विलम्ब नहीं किया । भगवान् की वाणी सुनकर जो आचरण में लीन हो जाते हैं, उन्हीं श्रोताओं का कल्याण होता है।
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