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अपरिग्रह और दान | ६६
मर्यादा कर लो और उस पर ऐसा एकाधिकार मत बनाए रखो, कि उसमें से कुछ भी किसी दूसरे के काम न आए। तुम्हारे साधनों से दूसरों का भी कल्याण होना चाहिए। समाज के लाभ में भी उनका व्यय होना चाहिए । समाज के लाभ में व्यय करते समय यही समझना चाहिए, कि मैं अपने पापों का प्रायश्चित्त कर रहा है, किसी पर अनुग्रह नहीं कर रहा हूँ । यदि व्यक्तियों में यह वृत्ति होगी, तो समाज और देश का कल्याण होगा, और वह व्यक्ति भी कल्याण का भागी होगा । समाज और राष्ट्र में भी सुख एवं समृद्धि बढ़ेगी।
ब्यावर अजमेर १८ - ११ – ५०
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