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________________ जीवन और संरक्षण | १४१ ताओ धर्म के महान नेता--लाओत्से का सन्देश है कि जो लोग मेरे प्रति अच्छा ब्यवहार नहीं करते, उनके प्रति भी मैं अच्छा व्यवहार नहीं करता हूँ। कोगफ्यत्सी ने कनफ्य शियस धर्म का प्रवर्तन करते हुए कहा था"जो चीज तुम्हें नापसन्द है, वह दूसरों के लिए हर्गिज मत करो।" ___ कहने का तात्पर्य यह है, कि विश्व का कौन-सा धर्म है, जो खूरेजी की दाद देता है। प्रायः सभी ने एक स्वर से प्राणिरक्षा, प्राणिमैत्री एवं आत्मवत् सर्वभूतेष का सन्देश दिया है । किन्तु खेद की बात है, कि आज विश्व आँख मूद कर भयंकर हिंसा को प्रश्रय दे रहा है । लाखों ही निरपराध व्यक्ति गाजर-मूली को तरह काटकर समाप्त किए जा रहे हैं। किसी की आंखें निकाली जा रही हैं, तो किसी के हाथ-पैर काटे जा रहे हैं। किसी को संगीनों पर उछाला जा रहा है, तो किसी को जिन्दा जलाया जा रहा है। घायलों की मर्माहत चीत्कारें दिल को दहला देती हैं। हजारों घर लटे जा रहे हैं. जलाए जा रहे हैं। मौत नंगी होकर नाच रही है। कुमारी एवं कन्याओं एवं सतीसुहागिनों के साथ खुलेआम बलात्कार किये जाते हैं जिसे देखकर शर्म की आँखें भी शर्म से नीचे झक जाती है। और, फिर उन्हें गोलियों से भन दिया जाता है । और कुछ सुन्दरियों को बन्दी बनाकर बेच भी दिया जाता है। इन्सान-इन्सान नहीं रहा है, शैतान हो गया है, शैतान से भी बदतर । संस्कृति तथा अहिंसा : आज के उक्त अमानवीय पैशाचिक कुकृत्यों को देखने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। भारत के ही निकट पडोसी बांगला देश में, पाकिस्तान के क र एवं हृदयहीन शासकों के हुकम पर नित्य-प्रति हो रहे कुकृत्यों को देखा जा सकता है । सैनिक पागल हो गए हैं । लगता है, उनमें मानवता का कुछ भी अंश नहीं बचा है। और यह सब हो रहा है, देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के नाम पर । मानव-जाति पर अत्याचार भत काल में भी हुए हैं। इन्सान के सुन्दर एवं मोहक आदर्शों के नाम पर कुछ कम कष्ट नहीं भोगे हैं। किन्तु पाकिस्तान बांगला देश में जो कुछ कर रहा है, उसका उदाहरण इतिहास में खोजे नहीं मिल रहा है । आवश्यकता है, आज का प्रबुद्ध जन-समाज इन लोमहर्षक अत्याचारों की मुक्त-भाव से भत्सर्ना करे, प्रति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003415
Book TitleAparigraha Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
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