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________________ सुन्दरम् सत्य विश्व - मंगल रूप है । इसलिए वह शिव है और सुन्दर है। विश्व कल्याण के लिए, जन - हित के लिए किया गया कर्म सुन्दर है । वस्तुतः सौन्दर्य केवल बाहर में नहीं, अन्तर् में निहित है । अनन्त करुणा, मैत्री एवं सद्भावना से ओत - प्रोत अन्तरंग सौन्दर्य ही जन - मन को आकर्षित करता है। वास्तव में सुन्दर एवं रमणीय वह है, जो प्रति क्षण नया बना रहता है । इस क्षण से आनेवाले आगे के क्षणों में, जो और भी सुन्दर प्रतीत होता है । यथार्थ में वह कभी पुराना पड़ता ही नहीं, सदा - सर्वदा नया बना रहता है। २४ अमर - वाणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003414
Book TitleAmar Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1988
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size6 MB
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