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प्रेम की शक्ति तलवार मनुष्य के शरीर को झुका सकती है, मन को नहीं । मन को झुकाना हो, वश में करना हो, तो प्रेम के अस्त्र का प्रयोग करो। प्रेम का राज्य हजारों-लाखों वर्षों बाद भी चलता रहता है, जबकि तलवार मनुष्य के जीनन - काल में ही टूटकर खण्ड-खण्ड हो जाती है। ___अहिंसा के पुजारी का कोई शत्रु नहीं है। जो दूसरों के लिए हृदय में प्यार भर कर चला है, उसे सर्वत्र प्यार ही मिलेगा, आदर ही मिलेगा। प्यार को प्यार मिलता है और तिरस्कार को तिरस्कार!
खरी - खरी "जो तलवार से ऊँचे होंगे, वे तलवार से ही नष्ट हो जाएँगे" प्रभु ईसा का यह अमर वाक्य क्या भूला देने योग्य है ? क्या इस वाक्य में मानव - जाति की युद्ध - परम्पराओं का विराट् इतिहास अंकित नहीं कर दिया गया है ? भूमण्डल पर शान्ति, शक्ति से नहीं, स्नेह से मिल सकती है । जो स्वयं जिन्दा रहेंगे और दूसरों को जिन्दा रहने देंगे, उनके हाथ में आई शक्ति ही विश्व के लिए वरदान होगी। जिस शक्ति के पोछे स्नेह नहीं है, जन-कल्याण नहीं है, वह शक्ति रावण की होती है, राम की नहीं।
प्रेम की पगडंडी जहाँ विषय-वासना है, वहाँ प्रेम कैसा ? प्रेम की पगडंडी तो शुद्ध आध्यात्मिक भाव के ऊँचे शिखरों पर से होकर जाती है। प्रेम शरीर की सुन्दरता और धन की सम्पन्नता नहीं देखता है, वह देखता है- एकमात्र आत्मा की सुन्दरता और सद् - गुणों की सम्पन्नता। सत्यं, शिवं, सुन्दरम् :
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