________________
धर्म और मानवता
संसार में वही धर्म श्रेष्ठ है, जो जीवन का धर्म है। जीवन धर्म का अर्थ है-अहिंसा का, सत्य का, संस्कारिता का, समानता का, करुणा का, बन्धुता एवं मानवता का धर्म । जिस धर्म में मानवता को जितना ही अधिक सक्रिय रूप मिलेगा, वह उतना ही श्रेष्ठ एवं जन-कल्याणकारी धर्म होगा। पवित्र जीवन जीना ही जीवन - धर्म का परम लक्ष्य है।
योग या क्षेम
योग भव्य है, सुखद महत्त है,
किन्तु, योग से क्षेम महत्ततर । अतः व्यर्थ ही नहीं गंवाएँ,
चिन्तामणी-सा नर भव पाकर ।
११२
अमर - वाणी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org