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कर्मवाद
जैसा कर्म, वैसा भोग
आग लगाने वालों के भाग्य में आग है और तलवार चलानेवालों के भाग्य में तलवार । जो दूसरों की राह में काँटे बिछाते हैं, उन्हें फूलों की सेज कैसे मिलेगी ? फूलों की सेज फूल बिछाने वाले को ही मिलती है।
कर्मवाद
कर्मवाद का सिद्धान्त साधक के लिए धैर्य और साहस का सिद्धान्त है । जब हम अपने ही पूर्व कुकर्मों के फलस्वरूप त्रास और दुःख पाते हैं, तो बड़ी सहिष्णुता एवं धैर्य से उसे सहन कर सकते हैं । अपने किये का किस पर दोष दें ? और, यह विश्वास कि यदि इस जीवन में सुकर्म करेंगे, तो हमारा शेष जीवन और अगले जन्म का जीवन भी सुखमय होगा, हमें सत्कर्म के लिए नवीन स्फूर्ति देता है। इसी प्रकार जब हम यह विश्वास कर लेते हैं कि दूसरे लोगों को भी पूर्वजन्म के कुकर्मों के कारण ही दुःख भोगना पड़ रहा है, गलत आदतों का शिकार होना पड़ रहा है, तो हमें उनपर विद्वेष एवं वैर - भाव न आ कर सहज ही दया - भाव आने लगता है,
अमर वाणी
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