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ब्रह्मचर्य का तेज : ५५
कुछ और भी:
१. अलंकार और ठाट-बाट की जो इच्छा करे, वह दासी ! २. शरीर के भोंगों की जो इच्छा करे, वह वेश्या ! ३. पति के सुख की जो कामना करे, वह पत्नी ! ४. पति की उन्नति के लिए जो आत्म-भोग दे, वह देवो
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