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________________ समय की परख : १५ कर सकता।" वस्तुतः भगवान महावीर का कहना पूर्ण सत्य है । समय क्या है और वह कैसे जाता है, इसका पता मृत्यु के समय पर लगता है। उस समय ससार की सारी सामग्री और धन देने पर भो अधिक तो क्या एक क्षण भी नहीं बढ़ाया जा सकता, रोका नहीं जा सकता। हाँ, तो समय अनमोल वस्तु है इससे जितना भी लाभ उठाया जा सके, उठा लो समय रुक नहीं सकता है, वह चला जायेगा। जो लाभ उससे उठा लिया जायेगा, वही हाथ मे बव रहेगा। भगवान महावीर कहते हैं-''जो दिन-रात गुजरते जा रहे है। कभी वापस लौटकर नहीं आ सकते । परन्तु जा सत्काय करता है, धर्माराधन करता है, उसका वह समय सफल हो जाता है । इसक विपरीत जिसने अधर्म किया है, समय को यों ही व्यथ के कार्यों में खर्च किया है, उसका वह समय निष्फल हो गया है।" समय का सदुपयोग : तुम अभी लड़की हो। अतएव मन लगाकर विद्या पढ़ो। खेलकूद में समय नष्ट करना मूर्खता हागो। अब तुम पढ़ लागो, तो भविष्य में तुम्हारे काम आयगा। अन्यथा जीवन भर का पछतावा रहेगा। फिर यदि तुम चाहोगी, कि पढ़ ला । तो नहीं पढ़ा जाएगा। गया हुआ बचपन कहीं लौटकर आता है ? पढ़ने के लिए बचपन के समय से बढ़कर दूसरा कोई सुन्दर समय नहीं होता । तुम देख सकती हो-तुम्हें धर्म की अच्छी पुस्तके पढ़ते देखकर बहुत सी बड़ी-बूढ़ी स्त्रियाँ किस प्रकार पछतावा करतो हैं,-'हम तो मूर्ख ही रह गईं, पढ़ो नहीं। अगर हम पढ़ी होती, तो आज बेकार न पड़ी रहतीं । अच्छे-अच्छे धर्मग्रन्थ पढ़ती। अब सुनने के लिए भी दूसरों का मुंह ताकना पड़ता है, फिर भी बहुत सी बातें अच्छी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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