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________________ ८ : आदर्श कन्या वस्तुतः सच्चा भगवान सत्य ही है --"तं सच्च खु भगवं" हमारे आराध्यदेव भगवान का कहना अक्षरशः सत्य है । सत्य पथ का पथिक बनकर ही तो मनुष्य भगवान बनता है। मानव से महामानव बनता है। सत्य वह भगवान है जो अपने उपासकों को भगवान बना देता है, वह भगवान ही क्या, जो अपने भक्तों को अपने समकक्ष स्थान प्रदान न कर सका, तो उसकी उदारता ही क्या रही ? साधारण मानव से महामानव की उदारता भी तो महान ही होनी चाहिए भगवान महावीर ने आचारांग सूत्र में कहा है"जो साधक (व्यक्ति) सत्य की आज्ञा में चलता है, वह मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है । मृत्यु पर विजय प्राप्त करना ही-तो भगवान बनना है। सत्य का व्यावहारिक रूप : ___ तुम जानती हो, सत्य किसे कहते हैं ? जैसा देखने व सुनने में आये उसे वैसा ही और उतना ही कहना सत्य है । अतः जो बात जैसी और जितनी हो, उसे वैसी और उतनी ही कहनी चाहिए। अपनी ओर से रंग लगाकर या बढ़ा-चढ़ाकर कभी कोई भी बात नहीं कहनी चाहिए । यदि तुम्हें भली और सुघड़ लड़की बनना है तथा सबको दृष्टि में सम्मानित होना है, तो असत्य कभी मत बोलो। झूठ बोलकर भूल छिपाने का कभी प्रयत्न नहीं करना चाहिए । भूल तो छोटे-बड़े सभी से होती है, पर स्वीकार कर लेना बड़ी बात है। झूठ से झूठ बढ़ता है : __झूठ से झूठ बढ़ता ही है, घटता नहीं । झूठ बोलने पर तुम्हारा एक अपराध ढंक भी गया तो क्या हुआ? इस तरह तो एक बार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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