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________________ ४ : आदर्श कन्या नहीं कर सकती हैं। विघ्नों की बड़ी-बड़ी चट्टानें भी चूर-चूर हो जाएंगी। उन विचारों का मूल्य ही क्या है, जो आपके अपने निश्चयों से डिगा दें। संकल्प दृढ़ ही क्या हुए, जो बाँधी में तिनके के समान उड़ जाएँ। त्याग और तप की दृढ़ता और सत्य की प्रतिमूर्ति महारानी सीता का जीवन तो तुमने पढ़ा ही होगा ? जिस समय महारानी सीताजी ने अपने पति महाराज रामचन्द्रजी के साथ भयानक वन में जाने का दृढ़ संकल्प कर लिया था, उस समय उनको वन की कितनी ही भयंकर यातनाएँ बतलाई गईं, परन्तु वे अपने निश्चित संकल्प से मणमात्र भी विचलित न हुई। बन में गईं, भीषण संकट सहे, अधिक क्या, राक्षसराज रावण की कैद में भी रही, पर क्या मजाल, जो मन में जरा भी क्षोभ हो जाए, सत्य से पतित हो जाय । उन्होंने अपने विचारों को बहुत दृढ़ कर लिया था, और यह निश्चय कर लिया था कि चाहे प्राण भले ही चले जाएँ, परन्तु मैं अपने उद्देश्य से अणुमात्र भी विचलित नहीं होऊँगी। ___तुम सीता के ही पवित्र देश की लाड़ली सुपुत्रियाँ हो । अत:: तुम्हें भी अपने शुभ विचारों में दृढ़ता का भाव रखना चाहिए आजकल तुम विद्या पढ़ रही हो, अत: इस समय यह निश्चित शुभ संकल्प करो, कि चाहे कुछ भी हो, कैसी भी स्थिति क्यों न हों, हम विद्या-अध्ययन में कभी भी पीछे नहीं हटेंगी, अन्तिम सीमा पर पहुंच कर ही विश्राम लेंगी। यह ही नहीं, इतना ही नहीं, भविष्य में भी जो सत्कार्य हों अपना और पर का कल्याण करने वाले काम हों, उन सबके लिए भी संकल्प की पूर्ण दृढ़ता अपने हृदय में रखो । देखना, कहीं साहस बीच में ही न भंग हो जाय । संगति कैसी? अब यह प्रश्न है कि, सुन्दर और शुभ विचार प्राप्त कैसे किए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003413
Book TitleAdarsh Kanya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Conduct
File Size4 MB
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