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अभिनन्दन
आदरणीय श्री नवलमल फिरोदिया, जिन्हें सम्मान और आत्मीयता के साथ सभी "बाबा" कहते थे। "बाबा" के जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में “प्रज्ञा से धर्म की समीक्षा” ग्रन्थ का प्रकाशन जिज्ञासु साधकों के लिए करते हुए परम प्रसन्नता हो रही हैं।
प्रज्ञामहर्षि पूज्य गुरूदेव की अध्यात्मिक ऊँचाई, प्रखर ज्ञान, विश्वव्यापी आधुनिक मौलिक चिन्तन से अभिभूत थे। आचार्य चन्दनाश्रीजी की अजस्र करूणा, प्राणवान कार्यऊर्जा एवं सत्यानुलक्षी प्रज्ञा से प्रभावित थे। वीरायतन जब जब आते थे, प्रत्येक प्रवति में रसपूर्ण अभिरूचि से कार्य करते हुए भी घंटो पूज्य गुरूदेव के साथ गहरी ज्ञान चर्चा में निमग्न रहते थे। परम पूज्य गुरुदेव की ज्ञान संपदा को ग्रहण करने वाले योग्यतम व्यक्ति कोई हैं, तो सबको लगता था, वे “बाबा” है। बाबा का भी अत्यधिक आग्रहपूर्वक मन था
पूज्य गुरूदेव के विचारों का प्रचार प्रसार हो। परम पूज्य गुरूदेव के क्रांतिकारी विचारों से लेखो का संकलन करके “पण्णा समिक्खए धम्म” पुस्तक को प्रथम आवृति, आदरणीय बाबा ने प्रकाशित की थी।
-वीरायतन परिवार
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