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________________ भारतीय धर्म और दर्शन में ऋषि शब्द का प्रचुर प्रयोग हुआ है। स्वय भगवान् महावीर को भी परम महर्षि कहा गया है ___ “अणुत्तरगं परमं महेसी।" सूत्रकृतांग, 1, 6, 17. अन्यत्र भी अनेक प्रज्ञावान मुनियों के लिए ऋषि शब्द का प्रयोग हुआ है। हरिकेशबल मुनि की स्तुति करते हुए कहा गया ___ "महप्पसाया इसिणो हवन्ति।" -उत्तराध्ययन, 12, 31. आज जानते हैं, ऋषि शब्द का क्या अर्थ है? ऋषि शब्द का अर्थ है-सत्य का साक्षात-द्रष्टा। ऋषि सत्य का श्रोता कदापि नहीं होता, प्रत्युत् अपने अन्तःस्फूर्त प्रज्ञा के द्वारा सत्य का द्रष्टा होता है। कोष-साहित्य में ऋषि का अर्थ यही किया गया है। वह अन्तःस्फूर्त कवि, मुनि, मन्त्र-द्रष्टा और प्रकाश की किरण है। कवि शब्द का अर्थ काव्य का रचयिता ही नहीं, अपितु ईश्वर-भगवान् भी होता है। इस सम्बन्ध में ईशोपनिषद् कहता है “कविर्मनीषिपरिभू स्वयंभू" उक्त विवेचन का सार यही है कि सत्य की उपलब्धि के लिए मानव की अपनी स्वयं प्रज्ञा ही हेतु हैं प्रज्ञा के अभाव में व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं ध र्म आदि सब तमसाच्छन्न हो जाते हैं। और इसी तमसाच्छन्न स्थिति में से अन्ध -मान्यताएँ एवं अन्ध-विश्वास जन्म लेते हैं, जो अन्ततः मानव-जाति की सर्वोत्कृष्टता के सर्वस्व संहारक हो जाते हैं। अतीत के इतिहास में जब हम पहुँचते हैं, तो देखते हैं कि प्रज्ञा के अभाव में मानव ने कितने भयंकर अनर्थ किए हैं। हजारों ही नहीं, लाखों महिलाएँ, पति के मृत्यु पर पतिव्रता एवं सतीत्व की गरिमा के नाम पर पति के शव के साथ जीवित जला दी गई हैं। आज के सुधारशील युग में यदा-कदा उक्त घटनाएँ समाचार पत्रों के पृष्ठों पर आ जाती हैं। यह कितना भयंकर हत्या काण्ड है, जो धर्म एवं शास्त्रों के नाम पर होता आ रहा है। देवी-देवताओं की प्रस्तर मूर्तियों के आगे मूक-पशुओं के बलिदान की प्रथा भी धार्मिक परम्पराओं के नाम पर चालू है। एक-एक दिन में देवी के आगे सात-सात हजार बकरे काट दिए जाते हैं। और, हजारों नर-नारी, बच्चे, बूढे, पण्णा समिक्खए धम्म 5 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003409
Book TitlePragna se Dharm ki Samiksha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year2009
Total Pages204
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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