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कि बिजली से अग्नि प्रज्वलित हो जाती है, और वस्तु जल जाती है, यह बात सत्य है। परन्तु बिजली और बिजली से प्रज्वलित अग्नि, दोनों में अन्तर है। बिजली से आग भले ही लग जाए, पर बिजली स्वयं अग्नि नहीं है।
अग्नि का क्या है? वह तो सूर्य किरणों से भी लग जाती है। सूर्यकिरणों को जब अभिबिंदु लैंस (Convergent Lens) में केन्द्रित कर लेते हैं, तो उसमें से अग्नि ज्वाला फूट पड़ती है। परंतु सूर्य किरणें स्वयं तो अग्नि नहीं हैं। यदि वे अग्नि हों तो फिर सूरज की धूप में संयमी मुनि कैसे खड़ा हो सकता है, कैसे धूप सेंक सकता है?
आगमोक्त तेजो लेश्या स्वयं तो अग्नि नहीं है, पर वह दूसरों को भस्म कर डालती है, उससे अग्नि प्रदीप्त हो जाती है।
'तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेइ'
तारपीन या पेट्रोल आदि के भीगे कपड़े यथाप्रसंग अपने आप जलने लगते हैं। खुली हवा में रहने के कारण ऐसी वस्तुएँ पहले हवा की ऑक्सीजन से संयोग करती हैं और उससे धीरे-धीरे ताप उत्पन्न होता रहता है। जब ताप बढ़ते-बढ़ते इतना बढ़ जाता है कि वह वस्तु के प्रदीपनांक (Ignition temperatrue) से अधिक हो जाता है, तब वस्तु स्वतः ही तेजी से जलने लगती है । तारपीन या पेट्रोल आदि में आग पकड़ने की यही विज्ञानसिद्ध प्रक्रिया है। परन्तु इसका यह अर्थ तो नहीं कि तारपीन तथा पेट्रोल आदि स्वयं अग्नि हैं।
- भग. 15 वाँ शतक
अरणी की लकड़ी या बाँस परस्पर के घर्षण से जलने लगते हैं, तो क्या वे जलने से पूर्व भी साक्षात् अग्नि हैं? यदि हैं तो उन्हें फिर साधु कैसे छू सकते हैं? दो चार क्या, अनेक उदाहरण इस सम्बन्ध में दिए जा सकते हैं, जो प्रमाणित करते हैं कि बिजली से आग लग जाने पर बिजली स्वयं अग्नि नहीं है। उपसंहार
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्टतया सिद्ध हो जाता है कि विद्युत् अग्नि नहीं है। वह हमारी कल्पनाओं से भिन्न एक सर्वथा विलक्षण शक्ति विशेष है। विद्युत् तो हमारे शरीरों में भी है। उससे कहाँ बचेंगे? रूस के वैज्ञानिकों ने तो
ध्वनिवर्धक का प्रश्न हल क्यों नहीं होता? क्या विद्युत अग्नि है ? 103
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