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निश्चय में तो एक मार्ग है,
वह है प्राध्यात्मिक समता। श्रावक और साधु दो पथ तो,
अपनी-अपनी है क्षमता॥
बालक हो या युवा, वृद्ध सब,
___ एक मार्ग पर चलते हैं। निज-निज शक्ति अनुरूप, किंतु वे--
आगे-पीछे रहते हैं।
--उपाध्याय अमरमुनि
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