SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१८] भारतीय विद्या [वर्ष ३ विकच चंपक किंशुक मालती । वनवनी नव नील ति वासती । वकुल वेउल वालय पाडला । सुनलिनी नलिनी वन कोमला ॥४४ तरुण विलसई दोला लीला विलोलइ कुंतला । करि सुकमला अंकिं बाला मनोहर कुंडला । सुरतरचना ना ना भार्ग अनंगिइ सांभरइ । अमर उपमा रामा कामी सु अंबरि ते धरई ॥ ४५ हीडोलडे नवनवी परि एकि हींचई। कामी प्रिया सिउं इकि पुष्प सीचई। मनोन्य रंभागृह माहि पउढई। रामा समालिंगई अंगि गाढइ ॥४६ फूलतणी आंगी अंगि लागइ । के कुतिगिई पंचम गीत गाइ । लीलावती सिउं विलसई विलासइं । पूरइ पनुता मन केवि आस ॥ ४७ वसंत नीसार तिवार हूई। चिंता न जाइ मननी गिरूई। पंथी चलंता नितु वाट जोइ । वली वली वर्णिनि दुखि रोअइं ॥ ४८ विरह किम रहेस्यइ, साथनु वाट जोस्यइ । मधु समयि मरेस्यइ, दीहु आंकिउ वहेस्यइ । पथिकु मनि विमासइ, कोकिला वेगि वासइ । हरि हरि सु निरासइ, पापिणी प्राण नासइ ।। ४९ कुबुद्धि कीधी करिवा अजोगी। वसंतवेलां हिव थिउ वियोगी। चिंता जिवारई इम पांथि कीधी । त्विही विही कोइलि साखि कीधी ॥ ५० परिमली वर मंजुरि आंबुला । वकुल पाडल फूलीय चांपुला । विरहि पावकि झाबकि व्याकुलउ । पथिक थिउ घर ऊपरि आकुलउ ॥ ५१ किवार होस्यइ प्रियमेल वेला । जा पुंश्चली चिंतइ सौख्य वेला। कुहू कुहू कोइलि नादु साचउ । सुणी दिहाडइ तिणि रंगि राचउ ॥ ५२ कहिर मानि न मानिनि माहीं । इहु सखाईय बाई[य ?] ताहरूं। नरु निरोपि न रोपि न बांहडी । बकुल सीतल भूतल छांहडी ॥ ५३ म करि रोसु नि दोस भणी धणी। सुणि न वात न वात जिणी थणी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003403
Book TitleBhartiya Vidya Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy