________________
चालुक्य भीमदेव प्रथम, संवत् ११२० नुं एक अप्रसिद्ध ताम्रपत्र
* अहिं नीचे प्रकट करवामां आवती प्रतिलिपिवाळु मूळ ताम्रपत्र पालणपुर राज्यमां आवेला वरणावाडा गामना एक जैन भाईना कब्जामा छ । कोई २०-२२ वर्ष पहेलां मने ए ताम्रपत्रनी भाळ लागी हती अने तेथी पालणपुर राज्यना एक आगेवान अमलदार तेम ज प्रतिष्ठित सद्गृहस्थ ख० श्रीचंदुलाल सोभागचंद कोठारी-जेओ मारा अत्यंत निकट स्नेही अने बन्धुजन जेवा हता- द्वारा ए ताम्रपत्र मेळववानी ने जोवानी योजना करी हती । परंतु दुर्भाग्ये ते पछी थोडा ज दिवसमां अकस्मात् रीते श्रीचन्दुभाईनो खर्गवास थई गयो अने तेथी ते पछी ए विषे कशुं थई शक्यु नहि । हमणां, भाई श्री पं० अंबालाल प्रेमचंदशाहा मार्फत ए ताम्रपत्रनी विश्वसनीय नकल मारी पासे आवी छे जे अहिं प्रकट करवामां आवे छे।
आ शासन-पत्रनी अविकल नकल सुप्रसिद्ध जैन इतिहासविद् पं० मुनि श्रीकल्याण विजयजीए जाते ए ताम्रपट उपरथी करेली छे । पालणपुरथी ६ कोश उपर तारंगा तरफ जतां, ए वरणावाडा गाम आवे छे अने उपर जणाव्युं तेम त्यांना एक जैन गृहस्थ पासे आ असल ताम्रपत्र विद्यमान छ। एना कुल बे पत्रां छे जेमनी एकेकी बाजुए लखाण कोतरेलुं छे । बन्ने पत्रोने बच्चे एक कडी नांखीने जोडी राखेला छे । पत्रोनी लंबाई १० आंगळ अने पहोळाई ६ आंगळनी छ । एमां बधी मळीने लखाणनी १५ पंक्तिओ छे । ताम्रशासनना लेखनो उद्देश वरणावाडा ग्रामनिवासी मोढब्राह्मण जानकने, ३ हलप्रमाण भूमि दान करवानो छे। विक्रम संवत् ११२० ना पोष शुदि पूर्णिमा, के जे दिवसे उत्तरायण पर्वनो योग थयो हतो, अने महाराजाधिराज भीमदेव पोताना राज्यप्रवास दरम्यान इला नामना (हाल- ईडर, जूनुं नाम इलादुर्ग) स्थानमा शिबिर नाखीने रह्या हता, ते वखते महेश्वरनी पूजा करीने, पोताना तेम ज पूर्वजोना पुण्य अने यशनी अभिवृद्धि अर्थे, दान करवामां आव्युं हतुं । दानमां आपेली भूमिनो परिचय आ प्रमाणे आपवामां आव्यो छे - ए भूमि, वरणावाडा ग्राम के जे धाणदाहार (हालतुं धाणधार) पथकमां आवेलुं छे तेना पादरमा आवेला खेतरनी छ । एनी चतुःसीमा आ प्रमाणे छे -- पूर्वमां करपसबलि नामना गामनो रस्तो आवेलो
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org