________________
सिंघीजी की ओर से दुष्काल पीडितोंको प्रतिदिन भोजन देनेके समय एकत्रित हुए बुभुक्षित मनुष्यों का एक दृश्य
सिंघीजीके स्वयंसेवक - क्षुधातको भोजन देनेके लिये उत्सुक हो रहे हैं
उसका एक दृश्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org