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________________ वा च क गुण विनय रचित कारावइ पोषधसाल, मातानइ पुण्यि विशाल । पुरि लाहणि रूपा नाणइ, करावइ जिन (२४) परमाणइ ॥ १३८ चित्रकूटि कल्याण विवाहइ, द्रव्य खरची अधिका उछाहइ । सोहायउ विक्कमराय, जाणइ सवि मंत्र उपाय ॥ १३९. हुई हाजीखान हजूर, मिलि हसनकुलीस्यु सूर । तब संधि करी मंत्रीराज, राखइ जिनमंदिर राज ॥ १४० इम श्रीजिनशासनि सोह, करि कीधउ सरग आरोह । संग्राम मंत्रि कुलदीवउ, क्रमचंद्र मंत्री चिर जीवउ ॥ १४१ ॥ ढाल-७, पूज्य आव्या ते आस फली, श्रीखरतर गणधार रे-देशी ॥ कर्मचंद्र मंत्री। राणी रतनावती जनमिया, रायसिंह नृप रामसिंह रे । सुरताण पृथ्वीराज भाणजी, गोपाल अमर राघवसिंह रे॥१४२ वीकावंश इणि परि वाधीयउ, वडउ रे वछावंश साथि रे । सामि धरम अमृत वेलडी, घइ अमृत फल हाथि रे-आंकणि ॥ १४३ मंत्रि संग्रामना सुत भला, श्रीक्रमचंद्र जसवंत रे । राय कल्याणइ थापियउ, क्रमचंद्र मंत्रि महंत रे ॥वीका०॥१४४ शत्रुजय रैवतगिरइ, श्रीखंभायति जात रे । कीधी अर्बुदगिरी चडी, परिजन लेइ संघात रे ॥वीका०॥ १४५ रायसिंह कुमरइ मानीयउ, राय कल्याणनउ मंति रे। कइसिंहनइ वलि पाखर्यउ, सवि नृप जासु नमंतिरे।वीका०॥ १४६ अन्य दिवसि साहि सेविवा, कुमरस्युं करिआलोचरे। राय कल्याणनइ वीनवइ, नही काइबीजी सोच रे ॥वीका०॥१४७ राजरइ चित्तमइ जे हुवइ, ते कहउ मुझ भणी आज रे। तब कल्याण नृप इमि भणइ, पूर्वजनओ ए काज रे॥वीका०॥ १४८ श्रीविक्रमि इमि इछीयउ, सारणेसरनइ सार रे। एक घडि जइ गउखि हुँ, रहुं जोधपुरइ मझारि रे॥वीका०॥ १४९ तउ हुं कमलपूजा करूं, तिणि ए बोल निरवाण रे।चाडिवउ साहिजी सेविनइ, तुह्म छउ अधिक सुजाण रे।।वीका०॥१५० करि सेवा अरि निरदली, रायसिंहस्युं मंत्रिराजि रे। साहि संतोषी पामीयउ, श्रीयोधपुरनउ राज रे ॥वीका०॥ १५१ योधपुर गउखइ हरषीयउ, बयठउ राय कल्याण रे। धन तुं मंत्रिइम वर्णवइ, चाडी प्रतिज्ञा प्रमाण रे॥वीका०॥ १५२ तब राय मंत्रीनइ कहइ, वर तुं मांगि विमासि रे । राज प्रसादइ माहरइ, छइ सवि लील-विलास रे॥ वीका०॥ १५३. पुणि धर्मनी करणी इसी, मागु छ उल्लासि रे । कंदोई घाची वली कुंभार, जां चउमासि रे ॥ वीका०॥ १५४ न करइ निज करणी तिके, जां लगि तुह्म छइ आण रे। ए पुण्य मोटउ खाटिवउ, दयाधर्म सहूअसमाण रे॥ वीका०॥१५५ माल छुडायउ तेहनउ, जे नवकारना धार रे। चउथउ भाग वलि छोडिवउ, दाण मंडपि सुखकार रे॥ वीका०॥ १५६ छालीनउ कर छोडिवउ, ए सवि मानी वात रे । ए मांग्यउ तुझनइ दीयउ, प्रीति धरउ इणि भात रे॥वीका०॥१५७ माहरी संतति जे हुवइ, ताहरी संतति जांम रे। अणमांग्यउ तुजनइ दीयउ, ऊतरइ नही च्यारि ग्राम रे॥वीका०॥ १५८ छाप करी कागल दीयउ, मंत्रीश्वरनइ हाथि रे । अन्य दिनइ इब्राह्म मीरजउ, करि मुभटानइ साथि रे॥ वीका०॥ १५९ डिल्ली राज लेवा भणी, जातउ नागोरनइ पासि रे। साहि हुकमि मंत्री आवीयउ, सधर सेनानइ उकासि रे॥ वीका०॥ १६० कुमर श्रीरायसिंहस्युंजुरी, तब मीरजा-सेन भांजि रे। नासि दिसोदिस ते गइ, मूकि करी निज लाज रे।। वीका०॥ १६१ गूजरमंडलि अन्यदा, साहिस्युं रायसिंह राय रे । पहुतउ महमद मीरजउ, जीतउ तहां रण लाइ रे॥वीका०॥१६२ ति समीयाणउ वली, लीधउ निज बलि साधिरे। जालोररउधणी वसि करी, आबू लीधउ अगाध रे॥वीका०॥१६३ अभयकुमार जिसउ चाणकउ, रोहक जिसउ सगडाल रे। कापउ जेहवउ मति करी, तेहवउ मंत्रिभूपाल रे॥वीका०॥१६४ यवनसेनाअंइ आक्रम्यउ, आबू तीरथ जाणि रे। साहि फरमाण करी राखीयउ, जन्म कीयउ सुप्रमाण रे॥वीका०॥१६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003400
Book TitleMantri Karmchandra Vanshavali Prabandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1980
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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