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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला - रत्नपरीक्षादि सप्त ग्रन्थ संग्रह
मोजिनाय । मयलसुराखरविंद देसक्नापुगाइ नमि। पयरतिकुमारीज अन मलेनिनणिमाद।। श्वोदयनर दियस त्रिपरिस्रमादती माझे पासामपिश्रियमाहीती गुल मी स्वाविशरिज ! प्रशनागतात व महिराणी दीपादिरुम बरनीरेचन सबै गनुमा एआड सडडिओ गुलकमाहमसिमउत्तमाजाणविल सहियापीहाण करिणा पनि पमाणे सुदया विदरीय असुदयानि रशिया) राममिकरविवचिङहयायाम विश्वसंक । पढमंत कायम वाजतयद्विदय है।। ६दिखादना नीतिडीए। वहं तिल ग्रहको कक्कड एलाऊ दिसि तिरियदल वजनसे ॥] वनरंसिक्किक्वि दिसावारसला गाठथ सामझ तियएवं सुश्रहं सं । इति रूमि सात्र नानाला ॥ चसवदि कलर लुमिसु भरणी वादिकरा। रारू सर का तंतु मल्ल भाग मि.
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वस्तुसार ग्रन्थ का
आदि पृष्ठ
धातूत्पत्ति ग्रन्थ का अन्तिम पृष्ठ