SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रत्नपरीक्षा શ + मुद्रित प्रतिमें १२४, १२५, १२६ इन ३ गाथाओंके स्थानपर पाठभेदवाली भिन्न गाथाएं हैं तथा उनके नीचे यंत्ररूपसे जो कोष्ठक दिये हैं उनमें अंकादि भी भिन्न गिनती बताते हैं । गाथाएं और कोष्टक निम्न प्रकार हैं बारस चउदस सोलस वीसाई दसहियं च जाव सयं । टंकिक्कि जे तुरंती मुत्ताहल ताण मुल्लमिमं ।। १२४ / चालीसं पणतीसं तीसं चउवीस सोलसिकारं । अट्ट छ इगेग हीणं जाब दुकमि रुप्प टंकाणं ।। १२५/ एगाइ जाव बारस चडंति गुंजिक्कि वज्र ताणमिमं । वीसाय सोल तेरस गारस नव इगूण जाव दुगं ।। १२६ अस्यार्थ पुनर्यत्रकेणाह मोती टंक प्रति १२ १४ १६ २० ३० ४० ५० ६० ७० ८० ९० १०० रूप्य टंकण ४० ३५ | ३० | २४ १६ ११ ८ ६ ३ २ हीरा गुंजा रूप्य टंकण १ २ ३ ४ २० | १६ | १३ | ११ ५ ६ ७ ८ Jain Education International ८ ७ ac ५ ४ For Private & Personal Use Only ९ १० ११ १२ अइ चुक्ख निम्मला जे नेयं सव्वाण ताण मुलु मिमं । नहु इयर रणगाणं कणयद्धं विद्दुमे मुलं ॥ १२९ ॥ ५ ४ | ३ | २ गोमेय फलिह भीसम कक्केयण पुंसराय वेडुज्जे । एयाण मुल्लु दम्मिहि जहिच्छ कज्जाणुसारेण ॥ १३० ॥ छ ॥ * [ पाठभेद - अ चुक्ख निम्मला जे नेयं सवाण ताण मुल्लमिमं । सोसे सयमंसं भमालए मुछु दसमंसं ॥। २७ गोमेय फलिह भीसम कयग पुरसराय वइडुजे । उक पण छ टंका कणयद्ध विद्दुसे मुलं ॥ २८ ॥ इति सर्वेषां मूल्यानि समाप्तानि ॥ ] www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy