SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठकुर-फेरू-विरचित अहंगुलाइ कमसो पायंगुल वुड्डि कणयपुरिसो य । कीरइ धुव पासाए इग हत्थाई ख-बाणं ते (५०) ॥ २४ इगहत्थे पासाए दंडं पउणंगुलं भवे पिंडं। . . अबंगुल बुड्डि कमे जा कर पन्नास कन्नुदए ॥ २५ निप्पन्ने वरसिहरे धयहीणसुरालयंमि असुरठिई। तेण धयं धुव कीरइ दंडसमा मुक्खसुक्खकरा ॥ २६ पासायाओ दुवारं हेत्थप्पइ सोलसंगुलं उदए । नैव पंचम वित्थारे अहवा पिहुलाउ दूणुदए ॥ २७ [अत्र मुद्रितपुस्तके एषा गाथा अधिका विद्यते उदयद्धि वित्थरे बारे आयदोस विसुद्धए । अंगुलं सड्डमद्धं वा हाणि वुड्डि न दूसए ॥१] निल्लाडि वारउत्ते बिंबं साहेहि हिट्ठि पडिहारा । कूणेहि अट्ठ दिसिवइ जंघा-पडिरहइ पिक्खणयं ॥ २८ पासायतुरिय ४ भागप्पमाणबिंबं सउत्तमं भणियं । राउट्टै रयण विदुम धाउमय जहिच्छमाण वरं ॥ २९ दस भाय कयदुवारं उडुंवर उत्तरंग मज्झेण । पढमसे सिवदिट्ठी वीए सिवसत्ति जाणेह ॥ ३० सयणासण सुर तइए लच्छीनारायणं चउत्थे यः । वाराहं पंचमए छटुंसे लेवचित्तस्स ॥ ३१ सासण सुर सत्तमए सत्तम सेत्तंमि वीयरागस्स । चंडिय भइरव अडमे नवमिदा छत्त- चमरघरा ॥ ३२ दसमे भाए सुन्नं जक्खा गंधव्व-रक्खसा जेण । हिट्ठाउ कमि ठविजइ सयलसुराणं च दिट्ठी य ॥ ३३ १ पासायस्ल । २ हत्थंपइ । ३ जा हत्थ चउका इंति तिगदुग बुडि कमाउ पनासं। ४ रावट। ५ सत्संसि। ६ अडंसि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy