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ठकुर - फेरू - विरचित
वंसी अडयालीसं सट्टि ममाणीय कसिणु बासट्ठी । जज्जावर कन्नाणय उणवन्न कुडकुडो सट्ठी ॥ २७ मट्टी मण पणवीसं तुसंन्न मण अटुंबारस वर्णन्नं । दह मण तिल घयं तह सोलस मण लवण उद्देसं ॥ २८ राजुइगु तिजणसहिओ वारस गज भित्ति पाहणे चिणइ | चउदससयाई इट्टा उदेस जल गग्गरी तीसा ॥ २९ सगवीस मणा हक्कं नव चुन्नं बिउणु खोरु इक्कि गजे । पाहाण भित्तिचिज्जइ नव मणइ इमेव जाणेह ॥ ३० लेवे केवण चुन्नं पण मणं पायसेर सण सहियं । तइयंस खोर जुत्तं तलवट्टे अद्धु जलठाणे ॥ ३१ ॥ | छाणय मण चालीसं तह कक्कर सट्ठि पक्क हुइ चुन्नं । रक्ख पवाहिय सट्ठी अरक्ख चालीस कलिया य ॥ ३२ उद्देस पंचगमिमं चंदासुय फेरुणा अओ भणियं ।
जह देसकरुप्पत्ती चट्टिय समए मुणिज्जेइ ॥ ३३
॥ इति उद्देसपंचगं सम्मत्तं ॥
॥ इति परमजैन श्री चन्द्राङ्गजठर फेरूविरचित गणितसार कौमुदीपाट्यां सूत्रं समाप्तः (तम्) |
॥ सर्वे वस्तुबंध तथा गाथा मिश्रित ३९९ ॥ लिखितं चैत्र सुदि ५ संवत् १४०४ ।
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