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________________ ३२ अथ लग्नम् - भिगु ससि विणु सहि (णि) छट्ठा इंग दु चउ नवंऽति पंच दह सोमा । वीवाहे ससि बीओ सव्वे तिय गारहा सुहया ॥ ८२ बुह - गुर - छट्टा सण - सूरु अट्टमा सुहय भूम - रवि नवमा । ह - गुर - सुक्का अंत करगहणे सयणसुक्खकरा ॥ ८३ भिगु सस्सू रवि सुसरो सुह दुह लग्गं पसूइ सुयठाणं । जामित्तवई भत्ता तियस्स जाणेहु वलेमाणो ॥ ८४ ॥ इति विवाहे लग्नम् ॥ ठक्करफेरूविरचित ज्योतिषसार Jain Education International अथ क्षौरकम् - छट्ठमि नम्बि चउदसि अमावस चउथि विट्ठि गते । संझा निसि मज्झन्हे एए वज्जेह खुरकम्मे ॥ ८५ पुस्सु पुणव्वसु रेवइ सवण धणिट्टा मियऽस्सिणी हत्था । चित्त बुह सोमवारा खउरं सुहलग्गि कायव्वा ॥ ८६ दु पण नवते सोमा सुहपावा असुह तिय छ गार सुहा । बुह गुर सिय किंदि सुहा ससि कूरा असुह सेस खउरि समा ॥ ८७ ॥ इति क्षउरकर्म्मफलाफलम् ॥ रोहिणि महा विसाहा ति - उत्तरा भरणि कित्तियऽणुराहा । इय मुंडण लोयक इंदो वि न जीवए वरिसं ॥ ८८ ॥ इति नक्षत्राः मुंडन - लोचे वर्जनीयाः ॥ सुहलग्गे चंदबले खणिज्ज नीमा अहोमुहे रिक्खे | उड्डमुहे नक्खत्ते चिणिज्ज सुहलग्गि चंदवले ॥ ८९ चित्तणुराह ति - उत्तर रेवइ मिय रोहिणी य सय पुरसो । साइ धणि सुहंकर हिप्पवेसे य ठिइसमए ॥ ९०. कुरा ति छ गारसगा सोमा किंदे तिकोणगे सुहया । कूरsम अइअसहा सोमा मज्झिम गिहारंभे ॥ ९१ किंदमं ति कुरा अहा तिय गारहा सुहा संबे । क्रूरा बीया असुहा सेस समा गिहपवेसे य ॥ ९२ 4 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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