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________________ ठकुरफेरूविरचित ज्योतिषसार संकंतीभुत्तंसा संकमणं सोहि सहि घडियाओ। सेसकल - वियलजं तं मेसाइउ देस फुडसूरं ॥ ९ ॥ स्फुटसूर्यः॥ फुडसूरऽयणंसजुयं तीसाओ सेस जं च अंसाई । तेण हय उदयलग्गं तं रविरासीउ नायव्वं ॥ १० हिट्ठाओ सट्ठिफलं उड्डड्डे जुय ख - राँम फलजंतं । हीणं हिटुपलाओ सेसाओ लग्ग साहिज्जा ॥ ११ सेसं तीसउणं खलु असुद्धलग्गे फलंसगाईणि । मेसाइभुत्तसहियं अयणंसविहीण फुडु लग्गं ॥ १२ ॥ इति इष्टकालजन्मादि स्फुटलग्नम् ॥ एवं च फुडियलग्गं भणिय, भणामित्थ सत्तवग्गविहिं । गिह होरों देवाणं नव वारह सत्त तीसंसा ॥- दारं ॥ १३ रवि सीहो ससि कको कुज अलि मेसो य वुह मिहुण कन्ना। गुर धण मीणो सिय विस तुलो य सणि कुंभ मयर गिहा ॥ १४ ॥ इति गृहखामी ॥ लग्गड पढम होरा विसमे सूरस्स तह य चंदसमे ।-होरा । दिक्काणो य तिभागो सपंच नव अहिवई कमसो॥-द्रेकाणः। १५ अज सीह धणु अजाई विस मयर त्थी नवंस मयराई । तुल मिहुण घड तुलाई कक्को अलि मीण कक्काई ॥-नवांशकः । १६ नियअहिवयाइ सुकमे वारस अंसा मुणेह इक्किके। एवं च सत्तमंसो गणिज्जए जम्मलग्गमि ॥ १७ ॥ इति द्वादशांशाः खराशौ॥ सेर बोण वसु मुणिदिये मंगल सणि जीव सुक्कस्स । विसमे लग्गे सुकमे उवक्कमे स मिण तंसंसा ॥ १८ ॥ इति त्रिंशांशः॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003399
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkur Feru, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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