SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख [४१ ल्मुल्क और कैसरखों के आधीन किया गया था। परन्तु, इसमें सन्देह है कि यह हमला कभी हुआ भी था या नहीं। इसके विपरीत यह कहा जाता है कि महमूद के अधिकार में गोधरा नाम का एक अलग ही प्रान्त था जिसका सूबेदार कुवाम-उल-मुल्क था । कुछ भी हो, इस (पल्ली) देश में दुर्ग-निर्माण का प्रश्न इस स्थान पर हल नहीं हो सकता है। पावकदुर्ग (१९) ही पावागढ़ का पहाड़ी किला है जो बम्बई प्रान्त के पंचमहाल जिले में गोधरा से २५ मील दक्षिण में और सड़क द्वारा बड़ौदा से २६ मील पूर्व में स्थित है । यहां के शासकों के एक शिलालेख में इसका नाम पावागढ़ भी दिया है। महमूद से पहले अहमदशाह और उसके पुत्र महम्मदशाह ने इस दुर्ग को लेने के लिए प्रयत्न किये थे परन्तु वे सफल नहीं हुए। एक लम्बे घेरे के बाद १४८४ ई० के नवम्बर मास में इस किले पर हमला करने और इसके दरवाजे तोड़ देने में सफलता मिली। कहते हैं कि पहाड़ी पर अधिकार प्राप्त करने के बाद महमद ने ऊपर और नीचे के दोनों किलों में रक्षकों के वल को और भी मजबूत कर दिया और वहां पर महमूदाबाद नामक पाहर बसाया जो महमूदाबाद चौपानेरठ भी कहलाता था । प्रस्तुत शिलालेख में इन कार्यों की ओर इतना ही कह कर लक्ष्य किया है कि महमूव ने उस देश पर राज्य किया। जीर्ण (दुर्ग) से आधुनिक जूनागढ़ का अभिप्राय नहीं है बल्कि यहाँ पर बनाये गये किलों में से एक का है जिनका हाल मुसलमान इतिहासकारों ने लिखा है और दूसरे शिलालेखों में भी जिनका उल्लेख मिलता है। उक्त आधारों से विदित होता है कि १५वीं शताब्दी में यहाँ पर दो किले|| और एक शहर था। शहर का नाम सम्भवतः गिरिनगर** पा जैसा कि इससे पूर्व क्रमशः दूसरी+ और आठवीं शताब्दियों में मिलता है । शहर का किला जो दामोदर घाटा के किनारे पर गिरनार (रैवत पर्वत) को ढाल पर बना * ब्रिग्स, पृ० ६२ बाम्बे गजेटियर, जि० ३, पृ० १८५ नो० १ वही; पृ० २१७ नो० ३,४ पापावागढ़ की पहाड़ी और किले का नकशा देखिये, बाम्बे गजे०, जि०३,पृ० १९६, फरिश्ता, जि० ४, पृ० ७; बर्ड, पृ० २१२; फरीदी, पृ० ६७; कै० हि० इ०, जि० ३, पृ० ३१० .. || फरीदी, पृ० ५२, ५४; बर्ड पृ० २०८ ** ब्रिग्स (फरिश्ता), जि. ४, पृ० ५२, ५३ "महमूदशाह......गिरनाल देश की ओर (चला) जिसकी राजधानी का भी यही नाम था।" + रुद्रदामन का शिलालेख, ब्रिग्स, जि० ८, पृ० ४५ *जयभट्ट का दानपत्र (इण्डि० एण्टि०, भा० १३, पृ० ७८ पंक्ति १९) | ब्रिग्स, जि० ४, पृ० ५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy