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________________ महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख [३७ सम्वत् १५४५ में बनवाया गया था । इक्कीसवीं पंक्ति में इमादल मलिक द्वारा किसी खास दिन जीर्णोद्धार कराए जाने का उल्लेख है । यह तिथि और दिन अब नहीं पढ़े जा जा सके हैं। इस (२६ वें) पद्य में हमें एक नई हो सूचना मिलती है । किसी भी मुसलमान इतिहासकार ने, दधिपद्र (दोहाद) के दुर्ग के निर्माण अथवा जीर्णोद्धार का श्रेय महमूव अथवा उसके साथियों को जिनके कार्यों का विस्तृत वर्णन मोराते-सिकन्दरी* में मिलता है, नहीं दिया है। ___ इस शिलालेख में महमूद की १४६० ई० (जब यह उत्कीर्ण हुआ था) तक की सभी महत्वपूर्ण विजयों का उल्लेख है परन्तु इसमें सिन्ध, जगत और द्वारा (द्वारका) के हमलों को छोड़ दिया है जो क्रमशः १४७२ और १४७३ ई० में हुए थे। लेख की ११, १३, १५-१७, २० और २१ वो पंक्तियों में क्रमशः (१) इमादल (२) इमादल मलिक (३) 'वीर' इमादल, (४) इमादुल मुल्क और (५) इमादुल मलिक नामक व्यक्ति के कार्यों का उल्लेख है। ___पहली (११वो) पंक्ति का सन्दर्भ स्पष्ट नहीं है । (इससे) ऐसा प्रतीत होता है कि उसे (इमादल को) 'देश रक्षा', (सम्भवतः नये जोते हुए चांपानेर राज्य की रक्षा)के लिए नियुक्त किया गया था। दूसरी (१३ वी) पंक्ति के अनुसार मलिक इमादल ने पल्लिदेश को जीत कर वहाँ एक किला बनवाया था। तीसरे, उसने चम्पकपुर में एक किला बनाया था। और चौथे. इमादुल मुल्क ने दधिपद्र दुर्ग के सम्बन्ध में एक दान किया और अन्त में मलिक इमादल ने अपने अधीनस्थ उसी दुर्ग का (?) जीर्णोद्धार कराया (मलिकि ?) __ प्रसंग देखने से ये सब कार्य एक ही व्यक्ति इमादुल मुल्क द्वारा सम्पन्न हुए जान पड़ते हैं। प्रस्तुत शिलालेख में इन कार्यों का वर्णन 'देश रक्षा' पर नियुक्ति से लेकर शक सम्वत् १४१० में दधिपद्र दुर्ग के जीर्णोद्धार तक तिथि क्रमानुसार लिखा गया है। यह इमादल मुलक और इमादुलमुल्क एक ही हो सकता है जो कि प्रधान मन्त्री के समकक्ष हो एक पद होता था। महमूद के समय में इस तरह के तीन | इमादुल-मुल्क हुए (१) इमादुल मुल्क शा' बान, (२) इमादुल मुल्क हाजी सुलतानी और (३) उसका पुत्र बूद । पहले इमादुलमुल्क ने महमूद की उस षड्यन्त्र के विरुद्ध सहायता को जो उसके तख्त पर बैठते समय हुआ था। बूद वह व्यक्ति था जिसको सहायता से महमूद ने चांपानेर आदि स्थानों पर विजय प्राप्त की और दधिपद्र (दोहाद) का किला बनवाया * देखिये--फरीदी पृ० ७८-८८; बेले पृ० २३८ इतिहासकारों ने इमादुलमुल्क मलिक आईन का नाम लिखा है जिसने आईनपुरा बसाया । यह अहमदाबाद का बहुत सुन्दर कस्बा है । परन्तु, दधिपद्र और दोहाद एक है अतः इस सूचना से विशेष काम नहीं चलता है। + कै० हि० इ०, जि० २, पृ० ३०६-०७ + प्रिन्स ऑफ़ वेल्स म्यूजियम के श्री ज्ञानी के मतानुसार। 1. के. हि० इ०, जि० ३, पृ० ३०४ व ३०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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